
चंडीगढ़, 5 सितंबर — वित्त आयुक्त, राजस्व, डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग राज्य के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण उत्पन्न बाढ़ जैसी स्थिति पर कड़ी नज़र रख रहा है।
उन्होंने कहा कि लगातार बारिश के कारण कई जिलों में नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, नाले उफान पर हैं और निचले इलाकों में जलभराव हो गया है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करने के लिए बाढ़ की स्थिति की निरंतर समीक्षा कर रहे हैं।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि हरियाणा में मानसून के मौसम में अब तक सामान्य से 48 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। उन्होंने बताया कि इस दौरान फतेहाबाद, झज्जर, कुरुक्षेत्र और महेंद्रगढ़ जिलों में सामान्य से काफी अधिक वर्षा हुई।
उन्होंने कहा कि सभी उपायुक्तों और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (डीडीएमए) को निर्देश दिया गया है कि वे हाई अलर्ट पर रहें और अपने-अपने क्षेत्राधिकार में जनता को मौसम संबंधी चेतावनियां और सुरक्षा सलाह समय पर उपलब्ध कराएं।
उन्होंने कहा कि किसानों के लिए सरकार के समर्थन पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार ने 15 सितंबर, 2025 तक ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खुला रहेगा, जो कि प्रभावित किसानों के लिए व्यवस्थित फसल क्षति आकलन और मुआवजे की सुविधा के लिए 2,687 गांवों को कवर करेगा।
उन्होंने बताया कि 1,46,823 किसान पहले ही पोर्टल पर पंजीकरण करा चुके हैं, जिससे कुल 8,66,927 एकड़ कृषि भूमि को नुकसान के आकलन के लिए कवर किया गया है। यह डिजिटल पहल अभूतपूर्व वर्षा और बाढ़ से प्रभावित कृषक समुदाय के लिए मुआवज़े के दावों की सुव्यवस्थित प्रक्रिया और सहायता उपायों को सुनिश्चित करती है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि बारिश से प्रभावित 2,247 लोगों को सकुशल राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। खासकर पलवल, फरीदाबाद, फतेहाबाद, भिवानी, कुरुक्षेत्र और अंबाला जिलों में।
उन्होंने बताया कि ये अभियान राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और स्थानीय प्रशासन की टीमों के समन्वित प्रयासों से चलाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि नावों, पेशेवर गोताखोरों और अन्य आपातकालीन उपकरणों सहित विशेष बचाव उपकरण तैनात किए जा रहे हैं। एसडीआरएफ की इकाइयाँ सात जिलों-पलवल, यमुनानगर, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल और फरीदाबाद में रणनीतिक रूप से तैनात की गई हैं, जबकि एनडीआरएफ की टीमें पलवल में अतिरिक्त विशेष सहायता प्रदान कर रही हैं।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत उपायों के लिए जिलों को कुल 3.06 करोड़ रुपये की आरक्षित निधि स्वीकृत की है। इस धनराशि का उपयोग प्रभावित लोगों को भोजन और वस्त्र, विस्थापित परिवारों के लिए अस्थायी आश्रय और तंबू, पशुओं के लिए चारा और पीओएल (पेट्रोल, तेल और स्नेहक) सहित अन्य आवश्यक आवश्यकताओं, राहत सामग्री के परिवहन और ग्रामीण क्षेत्रों में जल निकासी कार्यों के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर जिलों में मकान ढहने से मारे गए व्यक्तियों के शोक संतप्त परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 44 लाख रुपये (प्रत्येक को 4 लाख रुपये) की अनुग्रह सहायता भी जारी की गई है।
उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में जल निकासी कार्यों हेतु जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को आरक्षित निधि के रूप में 50 लाख रुपये जारी किए गए हैं, जिससे ग्रामीण और शहरी, दोनों बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का व्यापक कवरेज सुनिश्चित हो सके। निर्देशों के अनुसार, सिंचाई एवं जल संसाधन तथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, आवश्यकतानुसार जल निकासी कार्यों में तेजी लाने के लिए पंप सुनिश्चित कर रहे हैं।
डॉ. मिश्रा ने इस चुनौतीपूर्ण समय में जन सुरक्षा के सर्वोपरि महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने नागरिकों को बाढ़ के पानी की अप्रत्याशित प्रकृति के कारण नदियों, नालों या जलभराव वाले क्षेत्रों के पास जाने से बचने की सलाह दी है।
एफसीआर ने लोगों से ज़िला प्रशासन द्वारा जारी सभी सलाह का पालन करने का आग्रह किया, जो स्थानीय परिस्थितियों के वास्तविक समय के आकलन पर आधारित हैं। उन्होंने टोल-फ्री आपातकालीन हेल्पलाइन 112 की उपलब्धता पर भी प्रकाश डाला और नागरिकों को किसी भी आपात स्थिति की तुरंत सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया।