
चंडीगढ़, 13 सितंबर–दक्षिणी हरियाणा जो कभी जल संकट से जूझ रहा था, वहां का किसान आज आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाकर एक नई क्रांति की मिसाल पेश कर रहा है। प्रदेश सरकार की खेत-जलघर योजना तथा सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं ने महेंद्रगढ़ जिला के अनेक किसानों की जिंदगी बदल दी है। इस जिला के गांव बुडीन व दुलोठ के आसपास के किसानों ने बताया कि अब उन्हें बारिश पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
गांव दुलोठ के किसान हितेश यादव ने बताया कि सरकारी सब्सिडी से सार्वजनिक तथा व्यक्तिगत तालाब बनाने के बाद अब किसान सिर्फ परंपरागत तरीकों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि वे ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकें अपनाकर कम पानी में भी अधिक पैदावार ले रहे हैं।
यह बदलाव केवल किसानों की आय तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने जल संरक्षण, ऊर्जा बचत और पर्यावरण संतुलन जैसे बड़े लक्ष्यों को भी साधा है। खेत-जलघर से किसान सोलर पंपिंग सिस्टम के जरिए अपने खेतों को सींच रहे हैं। सभी किसानों के लिए सिंचाई का समय निर्धारित किया हुआ है। बारी-बारी से किसान अपनी खेती को सींच रहे हैं।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत माइक्रो इरिगेशन कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (मिकाडा) की पहल ने किसानों को एक नई राह दिखाई है। इन तालाबों से किसानों के खेतों तक पाइप लाइनों के जरिए सिंचाई की जा रही है।
जूनियर इंजीनियर उत्तम सिंह ने बताया कि पहले किसान पानी की कमी के कारण एक फसल भी मुश्किल से ले पाते थे। जलघर योजना के बाद अब ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम से 40-60 प्रतिशत तक पानी की बचत हो रही है। इससे ना केवल सिंचाई का खर्च कम हुआ है बल्कि उपज भी बढ़ी है।
खेत जलघर एक टिकाऊ कृषि प्रणाली : सोनित राठी
मिकाडा के एक्सईएन सोनित राठी ने बताया कि हरियाणा सरकार की खेत जलघर योजना सिर्फ किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य नहीं रखती, बल्कि एक टिकाऊ कृषि प्रणाली का निर्माण कर रही हैं। इस तरह की सही नीतियों और आधुनिक तकनीकों के सहारे, सूखे और जल संकट जैसी चुनौतियों को भी अवसर में बदला जा सकता है।
सरकार इस तरह दे रही सब्सिडी
* किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणाली पर 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिल रही है।
* खेत तालाब योजना के तहत सामुदायिक तालाब बनाने के लिए 80 प्रतिशत तक और व्यक्तिगत तालाब के लिए 70 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है।
* सोलर पंप के मामले में 3 एचपी से 10 एचपी तक के पंपों पर 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिल रही है। इससे किसान बिजली और डीजल पर अपनी निर्भरता कम कर रहे हैं।