Wednesday, September 24Malwa News
Shadow

एक नए युग की शुरुआत : हरियाणा ने पुनर्स्थापनात्मक न्याय की दिशा में एक साहसिक कदम उठाया

चंडीगढ़, 17 अगस्त — हरियाणा सरकार ने सामुदायिक सेवा दिशानिर्देश, 2025 पेश किए हैं। यह नीति पहली बार अपराध करने वाले कुछ लोगों के लिए जेल की सज़ा को व्यवस्थित, सामाजिक रूप से उपयोगी कार्यों से बदलने के लिए बनाई गई है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 पर आधारित यह ऐतिहासिक सुधार, प्रतिशोध से पुनर्वास की ओर एक सुविचारित बदलाव को दर्शाता है।  यह एक ऐसा दर्शन है जिसे दुनिया भर की प्रगतिशील कानूनी प्रणालियाँ तेज़ी से अपना रही हैं।

हरियाणा की गृह एवं न्याय प्रशासन की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा, जिन्होंने दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, ने इन्हें “एक ऐसा ढाँचा बताया जहाँ न्याय जितना सुधार करता है, उतना ही पुनर्स्थापना भी करता है।”

   उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इसका उद्देश्य अपराधों की गंभीरता को कम करना नहीं, बल्कि उन्हें परिवर्तन के क्षणों के रूप में उपयोग करना है। उन्होंने कहा, “हर अपराध समाज पर एक दाग छोड़ता है, लेकिन एक अवसर भी छोड़ता है – एक गलत को सार्वजनिक भलाई में बदलने का अवसर।”

 डॉ. मिश्रा ने बताया कि नई नीति के तहत न्यायाधीशों को पात्र अपराधियों को कारावास के स्थान पर सामुदायिक सेवा सौंपने का विवेकाधिकार होगा। कार्यों का दायरा व्यापक है , इनमें  नदी के किनारे पेड़ लगाना, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में सहायता करना, विरासत स्थलों का रखरखाव करना, सार्वजनिक पार्कों की सफाई करना और स्वच्छ भारत जैसे सामाजिक कल्याण अभियानों में योगदान देना मुख्य रूप से शामिल है। प्रत्येक कार्य अपराधी की क्षमताओं के अनुसार सावधानीपूर्वक चुना जाएगा, जिसमें उम्र, शारीरिक स्वास्थ्य और कौशल को ध्यान में रखा जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेवा समुदाय के लिए उपयोगी और व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत रूप से सार्थक हो।

उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार का यह नीति बनाने का दृष्टिकोण भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में सबसे गंभीर मुद्दों में से एक से निपटने के लिए तैयार किया गया है , इससे जेलों में अपराधियों की भीड़ में कमी आएगी। उन्होंने आगे कहा कि कम जोखिम वाले अपराधियों को रचनात्मक सेवा की ओर पुनर्निर्देशित करने से सुधारात्मक सुविधाओं पर बोझ कम होता है, जबकि समुदायों को ठोस सुधारों का लाभ मिलता है।

अदालतों को समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, जिससे न्यायिक अधिकारी प्रत्येक अपराधी के योगदान पर वास्तविक समय में नज़र रख सकेंगे। कार्यक्रम में शामिल अधिकारियों को विस्तृत अभिविन्यास सत्र दिए जाएँगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी जिलों में इसका एक समान अनुप्रयोग हो।

उन्होंने आगे बताया कि नीति में संवेदनशील आबादी के लिए विशेष प्रावधान शामिल हैं। कानून का उल्लंघन करने वाले किशोर एनसीसी प्रशिक्षण, कौशल निर्माण कार्यशालाओं और पर्यावरण परियोजनाओं जैसी निगरानी गतिविधियों में भाग लेंगे जो अनुशासन और उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती हैं। महिला अपराधियों को ऐसे वातावरण में रखा जाएगा जहाँ वे नारी निकेतन, आंगनवाड़ी केंद्र, प्रसूति वार्ड और बाल देखभाल सुविधाओं सहित सुरक्षा और सम्मान बनाए रखते हुए सार्थक योगदान दे सकें।

डॉ मिश्रा ने बताया कि “सामुदायिक सेवा दिशानिर्देश, 2025” ज़िम्मेदारी की एक व्यापक संस्कृति विकसित करने का प्रयास करते हैं। अपराधियों को उन समुदायों के कल्याण में सीधे योगदान करने के लिए बाध्य करके, जिन्हें उन्होंने नुकसान पहुँचाया हो, उनके प्रति राज्य सरकार सहानुभूति, जवाबदेही और नागरिकता के स्थायी पाठ पढ़ाना चाहती है।