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ब्रह्मसरोवर के तट पर एक साथ देश की सांस्कृतिक विरासत को देख हो रहे है लघु भारत के दर्शन

चंडीगढ़, 23 नवंबर- अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन पर्व पर कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के तट पर  देश की सांस्कृतिक विरासत को देखकर पर्यटकों को लघु भारत के दर्शन करने का मौका मिल रहा है। विभिन्न राज्यों की संस्कृति को एक जगह पर एकत्रित करके यह महोत्सव अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। इस तट पर देश के विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति की छठा बिखेर रहे है और देश के विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकार अपनी कलाओं के जरिए लोगों को आकर्षित करने का कार्य कर रहे है। इस सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने और पवित्र ग्रंथ गीता की नगरी को देखने के लिए रोजाना काफी संख्या में पर्यटक अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंच रहे है।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 के 9वें दिन रविवार को छुट्टी के दिन सुबह से ही पर्यटक सरस और शिल्प मेले में खरीदारी करने के लिए पहुंच गए। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे-वैसे पर्यटकों की आवाजाही भी बढ़ती रही। इस महोत्सव में पर्यटकों को देश के हर राज्य की लोक कलाओं और संस्कृति से आत्मसात करने का अवसर मिल रहा है। इस वर्ष उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र पटियाला की तरफ से हिमाचल प्रदेश के कलाकार पूजा और घट नृत्य, जम्मू कश्मीर के कलाकार धमाली नृत्य व भद्रवाही कुड व रुमाली नृत्य, पंजाब का झूमर व मालवाई गिद्दा, राजस्थान का चारी, उत्तराखंड के कलाकार पांडव नृत्य, मृध्य प्रदेश का गंगौर व पांथी नृत्य, झारखंड का पायका नृत्य, उड़ीसा का संभालपूरी नृत्य सहित राजस्थान के कच्ची घोड़ी नृत्य, ढेरु गाथा गायन आदि की शानदार प्रस्तुति दे रहे है। इसके साथ-साथ पंजाब का बाजीगर ग्रुप भी पर्यटकों को अपने मोहपाश में बांधने का काम कर रहा है।

महोत्सव में जहां पर्यटकों को प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को देखने का मौका मिल रहा है, वहीं देश के विभिन्न राज्यों और प्रदेश के जिलों से आए शिल्पकारों की शिल्पकला को देखने और खरीदने का मौका मिल रहा है। इन पर्यटकों के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से पुख्ता इंतजाम भी किए गए है। एनजेडसीसी के अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के लिए विभिन्न प्रदेशों के बेहतरीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। यह कलाकार महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर अपनी प्रस्तुति देने के साथ-साथ कुरुक्षेत्र और आसपास के तीर्थों पर अपनी प्रस्तुति दे रहे है। यह शिल्प और सरस मेला 5 दिसंबर 2025 तक चलता रहेगा और पर्यटक इस महोत्सव में पहुंचकर शिल्पकारों की शिल्पकला और विभिन्न प्रदेशों के लोक नृत्य का आनंद उठा सकते है।