चंडीगढ़, 10 नवंबर – विभिन्न देशों के 31 राष्ट्रीय सिख संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था, ग्लोबल सिख काउंसिल (जी.एस.सी.) ने सिविल एविएशन सिक्योरिटी ब्यूरो (बी.सी.ए.एस.) के हालिया निर्देश पर गंभीर चिंता व्यक्त की है, जिसमें भारतीय हवाई अड्डों पर काम करने वाले सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान मूल सिख ककारों में से किरपान पहनने से रोका गया है। जी.एस.सी. का कहना है कि यह आदेश देश के उन सिख कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन व हनन करता है, जिन्हें सुरक्षा जांच के बाद टर्मिनल क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोका जा रहा है। इस आदेश से उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों में बाधा उत्पन्न हो रही है और इस तरह से अमृतधारी सिखों को हवाई अड्डों पर नौकरी करने से भी रोका जा रहा है।
ग्लोबल सिख काउंसिल की अध्यक्ष लेडी सिंह कंवलजीत कौर ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजारापु राम मोहन नायडू को भेजे गए पत्र में सिखों के लिए 30 अक्टूबर 2024 को जारी बी.सी.ए.एस. के इस चयनात्मक विशेष निर्देश को तुरंत वापस लेने की मांग की है। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि अमृतधारी यात्रियों को घरेलू उड़ानों में छह इंच से छोटी किरपान ले जाने की अनुमति है, लेकिन हवाई अड्डों के सीमित क्षेत्रों में सिख कर्मचारियों को ककार के रूप में ऐसी छोटी किरपान पहनने से मना कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह अनैतिक आदेश सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान अपने धर्म का पालन करने के संवैधानिक अधिकारों को अवैध रूप से छीन रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इंग्लैंड और कनाडा जैसे देशों ने सुरक्षा प्रोटोकॉल और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर बेहतर संतुलन बनाते हुए हवाई अड्डों पर काम करने वाले सिख कर्मचारियों को सीमित क्षेत्रों में मूल सिख ककार व किरपान पहनने की अनुमति दी है। इसलिए जी.एस.सी. भारत सरकार से अपील करती है कि वह सभी सिख कर्मचारियों के धार्मिक अधिकारों का पूरा पालन सुनिश्चित करने के लिए इसी तरह का संतुलित दृष्टिकोण अपनाए।
जी.एस.सी. ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार से बी.सी.ए.एस. के आदेश से इस प्रतिबंधात्मक धारा को हटाने और सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान ककार के रूप में छोटी किरपान पहनने की अनुमति देने की मांग की है ताकि उनके धार्मिक अधिकारों और पेशेवर सम्मान की रक्षा हो सके। काउंसिल की अध्यक्ष कंवलजीत कौर ने यह भी कहा कि भारत जैसे विविधता और समानता वाले देश में, जहाँ बड़ी संख्या में सिख रहते हैं, वहां हवाई अड्डों पर सिख यात्रियों और कर्मचारियों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करना भारत के संवैधानिक धार्मिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों में निहित है।
पत्र में उन्होंने यह भी उजागर किया कि भारत से विदेश यात्रा करने वाले अमृतधारी सिख यात्रियों को गले में पहनी छोटी किरपान, खंडा, कड़ा और कंघा जैसे अन्य धार्मिक प्रतीकों को सुरक्षा जांच के दौरान अक्सर उतारने के लिए कहा जाता है, जो सिखों के धार्मिक प्रतीकों के सम्मान की कमी को दर्शाता है।
इसके अलावा जी.एस.सी. ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी से भी अनुरोध किया है कि वह भारतीय हवाई अड्डों पर अमृतधारी सिख यात्रियों और कर्मचारियों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाने और सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नेतृत्व करें।