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जापान दौरा निवेश की दृष्टि से रहा अत्यंत सफल: राव नरबीर सिंह

चंडीगढ़, 13 अक्तूबर– हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के साथ हाल ही में संपन्न हुआ जापान दौरा निवेश की दृष्टि से अत्यंत सफल रहा है। इस दौरान लगभग पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के लिए कई प्रमुख जापानी कंपनियों के साथ 10 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह दौरा हरियाणा में कृषि और पर्यावरणीय क्षेत्रों में एक नए युग की शुरुआत करेगा।

राव नरबीर सिंह ने कहा कि जापान की सबसे बड़ी विशेषता उसकी वचनबद्धता और कार्यसंस्कृति है — वहां की कंपनियां जो वायदा करती हैं, उसे निर्धारित समय में पूरी निष्ठा से धरातल पर उतारती हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा में जापानी निवेश का यह सिलसिला नया नहीं है। वर्ष 1980 में जब वे पहली बार मंत्री बने थे, तभी मारुति उद्योग लिमिटेड ने पुराना गुरुग्राम में अपनी पहली इकाई स्थापित की थी। आज प्रदेश में 500 से अधिक जापानी कंपनियां सक्रिय हैं, जो हरियाणा की औद्योगिक प्रगति में अहम भूमिका निभा रही हैं।

उन्होंने कहा कि कुबोटा ट्रैक्टर कंपनी हरियाणा के कृषि विकास में अपनी अहम भूमिका निभाएगी, जबकि पर्यावरणीय क्षेत्र में ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्ट मोबिलिटी, ग्रीन बिल्डिंग और सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से शहरों का विकास होगा और नागरिकों की जीवन गुणवत्ता में सुधार आएगा। उन्होंने बताया कि जापान दौरे के दौरान एआईएसआईएन, एयर वाटर, टीएएसआई, नम्बूब, डेंसो, सोजित्ज़, निसिन, कावाकिन, डाइकिन और टोप्पन जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ हुए समझौतों से हजारों युवाओं के लिए रोजगार सृजन के नए अवसर खुलेंगे।

राव नरबीर ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने अपने वर्ष 2025-26 के बजट अभिभाषण में 10 नए इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) विकसित करने की घोषणा की थी, जिनमें से पांच को पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है। सरकार की योजना है कि इनमें से एक आईएमटी विशेष रूप से जापानी कंपनियों के सहयोग से विकसित की जाए। इसके लिए हरियाणा सरकार अपनी उद्योग नीति में संशोधन कर रही है, जिसके तहत 40 लाख रुपये तक के इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की योजना है। यह नीति मध्यम वर्ग को लाभान्वित करने के साथ-साथ हरित ऊर्जा के विस्तार पर केंद्रित होगी।

उन्होंने कहा कि उनके लिए यह गर्व की बात है कि गुरुग्राम में जन्मे होने के नाते उन्होंने 1980 के दशक से लेकर अब तक चार बार मंत्री रहते हुए जापानी कंपनियों की कार्यशैली और निवेश संस्कृति को निकटता से अनुभव किया है।